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कई बीमारियों से बचाव करेगा योग, शरीर में पोषण की कमी से खिंचे चले आते हैं अलग-अलग रोग

‘निल बट्टे सन्नाटा’ जब सामने कुछ न हो तो अक्सर मजाकिया लहजे में लोग निल बट्टे सन्नाटा कहते हैं। वैसे आज कल इस मुहावरे का इस्तेमाल न्यूट्रिशन और हेल्थ सेक्टर से जुड़े लोग खूब कर रहे हैं। उसकी वजह ये है कि दिनों-दिन लोगों की थाली से ‘न्यूट्रिशन वैल्यू’ गायब होती जा रही है। भागदौड़ भरी जिंदगी में अक्सर लोग तला-भुना, प्रोसेस्ड-अल्ट्रा प्रोसेस्ड खाना खाते हैं जिसमें कैलोरी तो भरपूर होती है लेकिन विटामिन से लेकर दूसरे पोषक तत्वों की कमी होती है। इस तरह का खाना स्वाद तो देता है लेकिन साथ में सेहत भी बिगाड़ता है। जबकि भारत में हेल्दी खान-पान की पुरानी परंपरा है। ट्रेडिशन थाली में मौजूद चपाती कार्बोहाइड्रेट्स का अच्छा सोर्स है, दाल में प्रोटीन-फाइबर-विटामिन-आयरन-जिंक-फोलेट-मैग्नीशियम जैसे एलिमेंट्स होते हैं और सब्जियां विटामिन्स-कैल्शियम-फाइबर-आयरन से भरपूर होती हैं। वहीं, छाछ-रायते को प्रोबायोटिक्स का अच्छा सोर्स माना जाता है जो बोन्स और इंटेस्टाइन के लिए संजीवनी है। स्प्राउट्स-फ्रूट्स-ड्राई फ्रूट्स-घी-मक्खन-शहद जैसी चीजें इस थाली को कम्प्लीट हेल्थ पैकेज बना देती हैं। लेकिन आज की मॉर्डन जेनरेशन को ये थाली बोरिंग लगती है। चटपटा-रेडी टू ईट जंक फूड ही मन को भाता है जिसे खाने से पेट भी भरता है, जीभ का स्वाद भी बदलता है लेकिन न्यूट्रिएंट्स के लिहाज से बड़ा जीरो यानि निल बट्टे सन्नाटा मिलता है।

यही वजह है कि देश में करीब 80% लोगों में विटामिन डी और करीब 74% लोगों में विटामिन बी-12 की कमी है। तो जान लीजिए कि शरीर में सिर्फ विटामिन-डी की कमी किसी भी जानलेवा बीमारी में मौत के खतरे को 25% तक बढ़ा देती है क्योंकि इससे जोड़ों में दर्द और कैंसर होने की संभावना भी बढ़ जाती है। इसी तरह अगर विटामिन बी-12 की कमी हो जाए तो बॉडी में प्रॉपर रेड ब्लड सेल्स नहीं बन पाते जिससे टिश्यूज और ऑर्गन्स को कम ऑक्सीजन मिलती है। नतीजा वेट लॉस, चिड़चिड़ापन, थकान और इर्रेगुलर हार्टबीट जैसी दिक्कतें पैदा होने लगती हैं। कहने का मतलब ये है कि विटामिन्स की डेफिशिएंसी को हल्के में मत लीजिए। वक्त रहते अपना खानपान ठीक कीजिए और योगाभ्यास की शुरुआत कर लीजिए यानी बैक टू बेसिक्स। आइए स्वामी रामदेव से जानते हैं कि हिंदुस्तान की परंपरा कितनी रिच है। जब देश के अलग-अलग इलाकों में अलग-अलग किस्म का खाना मिलता है, राजस्थान में दाल-बाटी-चूरमा, बिहार में लिट्टी-चोखा, तो पंजाब में मक्के की रोटी और साग तो फिर लोग बर्गर-पिज्जा के पीछे क्यों भाग रहे हैं।

क्या कहते हैं आंकड़े?

60% लोगों के खाने में न्यूट्रिशन की कमी

53% महिलाओं को एनीमिया
70% महिलाओं में कैल्शियम की कमी

डेफिशिएंसी – बीमारी

विटामिन बी-12 – न्यूरो प्रॉब्लम, मसल्स पर असर, कमजोर याददाश्त
कैल्शियम – हड्डियां कमजोर, दांत के रोग
विटामिन-ए – आंखों के रोग, ग्रोथ पर असर
आयरन – एनीमिया, कमजोरी

न्यूट्रिशन की कमी का बॉडी पर असर

कार्बोहाइड्रेट – थकान, डिप्रेशन, कब्ज
प्रोटीन – स्किन डिजीज, बाल झड़ना, फैटी लीवर
विटामिन – इम्यूनिटी कमजोर, कैंसर, इंफेक्शन
आयरन – अस्थमा, हार्ट प्रॉब्लम

विटामिन डी की कमी

कमजोर हड्डियां
अस्थमा
हार्ट डिजीज
कैंसर
डायबिटीज

कैसे दूर करें विटामिन-डी की डेफिशिएंसी

सुबह-सुबह धूप लें
डेयरी प्रोडक्ट्स
मशरूम
ऑरेंज जूस

NEWS SOURCE Credit : indiatv

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