रिपोर्ट : नाज आलम
मध्य प्रदेश के रहने वाले IPS मनोज शर्मा के जीवन पर बनी मूवी 12th Fail थिएटर में लग गई है। एक्टर विक्रांत मेसी ने आईपीएस मनोज शर्मा का किरदार निभाया है, IPS मनोज के सफर को अनुराग पाठक की लिखी किताब ट्वेल्थ फेल में बताया गया है।
लेखक अनुराग पाठक ने बड़ी बेहतरीन तरीके से आईपीएस मनोज शर्मा के तैयारी के दिनों का वर्णन किया है, एक लड़का जिसने पढ़ाई-लिखाई छोड़कर अपने कस्बे के चौहारे पर टेम्पो चलाने का फैसला कर लिया था, उसे कहां से ऐसा मोटिवेशन मिला की एक दिन वो देश की सबसे बड़ी परीक्षा को पास कर गया।
ऑटो चालक से IPS बनने का सफर
कहानी शुरू होती है मध्य प्रदेश के जौरा तहसील के एसडीएम कार्यलय से, जहां अपनी टेम्पो को छुड़ाने गया टेम्पो वाला एसडीएम से इतना प्रभवित हुआ कि खुद ऑफिसर बनने का फैसला कर लिया। ये लड़का बारवीं की परीक्षा नहीं पास कर पाया था, कारण था गणित और अंग्रेजी में कमोजर होना, इसकी वजह से सांइस छोड़कर आर्ट्स की तरफ रुख करना पड़ा, आर्ट्स की तरफ जाना मनोज के लिए वरदान सा सबित हुआ।
ग्वालियर से बीए करने के बाद मनोज ने कुछ दिन ग्वालियर में रह कर पढ़ाई की इस दौरान मनोज ने आटे की चक्की में काम करने से लेकर पुस्तकालय में सोने जैसे तामाम काम किए, खुद के खर्चों का निर्वाह किया और फिर यूपीएससी की तैयारी करने दिल्ली आ गए, जहां मनोज ने खर्च चलाने के लिए पालतू कुत्ते को घुमाने तक का काम भी किया।
दिल्ली में ही पढ़ाई के दौरान मनोज की मुलाकात श्रद्धा से हुई जिनसे मनोज अंग्रेजी पढ़ा करता था, मनोज के मन में सबसे बड़ा डर था बारवीं में फेल होना, एक दिन मनोज के जीवन के सारे संघर्ष पूरे हुए और लास्ट अटेम्पट में अब तक के तमाम उतार-चढ़ाव को पार करने के बाद मनोज ने UPSC परीक्षा क्लीयर कर ली।
एपेक्स इंटरप्राइजे़ज मोदीपुरम मेरठ – रेडीमेड वॉल बाउंड्री, सीमेंट बेंच, चेंबर, इंटरलॉकिंग ईंट, डिवाइडर, पोल, ऑल सीमेंट रिलेटेड वर्क – सर्विस दिल्ली, यूपी, बिहार, हरियाणा, उत्तराखंड, मध्यप्रदेश, पंजाब, सम्पर्क सूत्र- 9454253058, 9935597757
बुंदेलखंडी भाषा की झलक
मनोज शर्मा के संघर्ष को काफी करीब से देखने वाले उनके पीसीएस मित्र अनुराग पाठक ने यह किताब लिखा है। मनोज के जीवन की कठिनाइयों का वर्णन करते हुए किताब ट्वेल्थ फेल को बड़ी ही खूबसूरती से लिखा गया है, अगर बात करें उपन्यास की भाषा की तो ग्रामीण पृष्ठभूमि से होने की वजह से कहीं-कहीं बुंदेलखंडी भाषा का प्रयोग किया गया है।
मनोज के जीवन को उपन्यास में बड़े दिलचस्प तरीके से दिखाया गया है, जिसकी वजह से पाठकों में रोमांच बना रहता है। आखिर में मनोज के इंटरव्यू को विस्तृत वर्णन हिंदी भाषी प्रतियोगी छात्रों की किसी संजीवनी बूटी से कम नहीं है, उपन्यास के आखिरी पेज पर देश की सबसे बड़ी परीक्षा पास करने के बाद छात्र के प्रति समाज के विचारों में परिवर्तन का बड़ी ही चतुराई से किया वर्णन किया है।