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उत्तर प्रदेश हरदोई : हरदोई में है एक एैसा गाँव जिंसें लोग साहबों वाला गाँव भी कहते है, फ़ोन लैपटॉप को छोड़ किताबों में लगा है युवाओं का मन।

रिपोर्ट – नाज आलम ( सोर्स एक्स प्लेटफ़ॉर्म ) 

 

यूपी के हरदोई जिले का उधरनपुर गांव। यहां युवाओं की पहली पसंद मोबाइल-लैपटॉप नहीं किताबें हैं। हर दूसरे घर में सरकारी मुलाजिम हैं। कई अफसर भी हैं। इस गांव की साक्षरता दर शहर से ज्यादा है।

 

 

उत्तर प्रदेश हरदोई : यूपी के हरदोई जिले का उधरनपुर गांव। यहां युवाओं की पहली पसंद मोबाइल-लैपटॉप नहीं किताबें हैं। हर दूसरे घर में सरकारी मुलाजिम हैं। कई अफसर भी हैं। इस गांव की साक्षरता दर शहर से ज्यादा है। लोग इसे साहबों वाला गांव कहते हैं। आजादी की जंग में पसीना बहाने वाले इस गांव के लोगों ने देश के आजाद होने के बाद कलम चलाई। इसके बलबूते अपने गांव को नई पहचान…साहबों वाला गांव उधरनपुर के रूप में दिलाई। जिला मुख्यालय से 40 किमी दूर शाहाबाद नगर पालिका के तहत आना वाला गांव उधरनपुर शिक्षा के क्षेत्र में अपना एक अलग वजूद रखता है। छह हजार आबादी वाले उधरनपुर की साक्षरता दर 76.06 है। यहां हर परिवार में स्नातक या परास्नातक के साथ प्रोफेशनल डिग्री धारी हैं।

सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य करुणाशंकर ने बताया कि अंग्रेजी दौर में ब्रिटिश सरकार ने गांव के राय जगदम्बा प्रसाद को राय की उपाधि दी थी। उनके छोटे भाई भगवती प्रसाद ने उस वक्त लखनऊ विश्वविद्यालय से पोस्ट ग्रेजुएट की डिग्री हासिल की। वह ऑनरेरी मजिस्ट्रेट रहे। आशुतोष अग्निहोत्री ने बताया कि गांव के गिरजा दयाल शास्त्री दिल्ली विश्वविद्यालय में संस्कृत के प्रमुख अध्यापक रहे। वहीं रामसागर त्रिपाठी दिल्ली यूनिवर्सिटी में हिंदी के रीडर थे। उनके दो बेटे हैं। इनमें योगेश त्रिपाठी एमबीबीएस और ज्ञानेश त्रिपाठी आईआरएस रहे।

डीआईजी से लेकर तहसीलदार भी बने 

प्रशांत दीक्षित बताते हैं कि गांव के अशोक मिश्रा पढ़-लिखकर डीआईजी के ओहदे तक पहुंचकर रिटायर हुए। चंद्रशेखर शुक्ला तहसीलदार रहे। वहीं अरुण कुमार मिश्रा, पुनीत कुमार शुक्ला, जितेंद्र पाल भी प्रशासनिक अफसर से रिटायर हुए। गांव के सुरेश शुक्ला, रामनिवास शुक्ला और रामहित शुक्ला इलाहाबाद हाईकोर्ट के प्रसिद्ध वकील रहे। स्व पं धर्मप्रकाश दीक्षित कई विषयों के आचार्य रहे। वह मुमुक्ष आश्रम संस्कृत विद्यालय में आचार्य पद पर रहे।

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पूरा परिवार डॉक्टर, सभी दे रहे सेवाएं 

उधरनपुर निवासी प्रसिद्ध डॉ.सोमशेखर दीक्षित उनकी पत्नी डॉ शुभा दीक्षित, डॉ.अभिषेक दीक्षित, डॉ.अखिलेश दीक्षित, डॉ.दीप्ति दीक्षित एमबीबीएस, डॉ.श्वेता दीक्षित एमडीएस और प्रतिमा दीक्षित बीडीएस डिग्री हासिल करके अलग-अलग जिलों में सेवाएं दे रहे हैं। वहीं परिवार के डॉ. अभिनव दीक्षित का एमबीबीएस फाइनल ईयर है।

न्याय दिलाने में भी यहां के लोग आगे 

यहां के करीब 20 लोग एलएलबी की डिग्री हासिल करके हरदोई, शाहजहांपुर, लखनऊ के साथ शाहाबाद तहसील में भी अपनी सेवाएं दे रहे हैं। शाहाबाद बार एसोसिएशन के मौजूदा अध्यक्ष गोविंद राम दीक्षित यहीं के निवासी हैं। इनके पुत्र अर्जित दीक्षित गवर्नमेंट इंस्टिट्यूट मेडिकल साइंसेज में पढ़ाई कर रहे हैं।

सोमशेखर पहले पढ़े फिर खोला शिक्षण संस्थान 

शाहाबाद में नालंदा शिक्षण संस्थान यहां के प्रमुख शिक्षण संस्थानों में से एक है। ये संस्थान उधरनपुर निवासी डॉ.सोमशेखर दीक्षित का है। वह गांव में पहले पढे़ फिर स्कूल खोला। अब उनके पुत्र प्रखर दीक्षित सम्भाल रहे हैं। यही से पढ़कर निकले आठ बच्चे आईआईटी में चयनित हो चुके हैं। तमाम बच्चे पढ़-लिखकर अलग-अलग क्षेत्रों में सरकारी सेवाएं दे रहे हैं।

उधरनपुर का मुख्य गेट बलिदानियों की दिलाता है याद 

उधरनपुर के वीर सपूतों ने स्वतंत्रता संग्राम में भी अपनी भागेदारी दी। जिनमें स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्व रामआसरे अग्निहोत्री, मुरलीधर मिश्र, छोटेलाल अग्निहोत्री, किशन दत्त शुक्ला, अभयराज शुक्ला शामिल हैं। इन वीर पुरुषों के नाम से उधरनपुर में एक मुख्य द्वार बनाया गया है। इन पर इनके नाम लिखे हैं।

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