Download Our App

Follow us

आपका समाचार पत्र...

Search
Close this search box.
Home » देश » गड़करी ने दिया जवाब, सड़क बनाने में खर्च 1900 करोड़ तो 8000 करोड़ का टोल TAX क्यों ?

गड़करी ने दिया जवाब, सड़क बनाने में खर्च 1900 करोड़ तो 8000 करोड़ का टोल TAX क्यों ?

राजस्थान के मनोहरपुर प्लाजा पर दिल्ली-जयपुर हाईवे पर टोल वसूली को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। एक आरटीआई दाखिल होने के बाद सामने आया कि इस हाईवे पर 1900 करोड़ की लागत में बनी सड़क से करीब 8000 करोड़ का टोल वसूला गया है। इस बात को लेकर केंद्रीय सड़क और परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने अब इस मुद्दे पर स्पष्टता दी है। उन्होंने बताया कि टोल टैक्स की वसूली एक दिन में नहीं होती, बल्कि इसके पीछे कई खर्चे और कारण होते हैं।

लोन से बढ़ गया टोल TAX
गडकरी ने एक आसान उदाहरण देकर इस मुद्दे को समझाया। उन्होंने कहा कि मान लीजिए कोई व्यक्ति 2.5 लाख रुपये में एक घर या गाड़ी खरीदता है। यदि वह इसके लिए 10 साल का लोन लेता है, तो उसे हर महीने लोन की किस्त के साथ-साथ ब्याज भी चुकाना होता है। इस ब्याज की वजह से कुल खर्च बढ़ जाता है, क्योंकि व्यक्ति केवल मूल राशि का नहीं, बल्कि ब्याज का भी भुगतान करता है। इसी तरह, सड़क निर्माण के लिए जब सरकार या ठेकेदार बैंक से लोन लेते हैं, तो उन्हें भी ब्याज चुकाना होता है। यह ब्याज और अन्य खर्चे सड़क निर्माण की कुल लागत को बढ़ाते हैं। इसके परिणामस्वरूप, जब टोल टैक्स वसूला जाता है, तो यह बढ़ा हुआ होता है। इसलिए, सड़क निर्माण के लिए लिए गए लोन का सीधा असर टोल टैक्स पर पड़ता है, जिससे अंतिम रूप से आम लोगों को अधिक टोल चुकाना पड़ता है। इस प्रक्रिया के कारण लोग यह महसूस करते हैं कि टोल टैक्स अनाप-शनाप बढ़ गया है, जबकि असल में यह निर्माण के खर्चों और लोन के ब्याज के कारण है।

किस हाईवे का मामला है?
यह मामला दिल्ली-जयपुर मार्ग (नेशनल हाईवे-8) का है, जिसे यूपीए सरकार ने 2009 में आवंटित किया था। इस परियोजना में कुल 9 बैंकों ने वित्तीय भागीदारी की थी। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने बताया कि इस सड़क के निर्माण के दौरान कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। उदाहरण के लिए, ठेकेदार बार-बार बदलते रहे, जिससे काम में देरी हुई। इसके अलावा, कुछ कानूनी मुद्दों ने भी स्थिति को जटिल बना दिया। बैंकों ने कानूनी मामलों के चलते केस दायर किए, और दिल्ली हाईकोर्ट ने भी कुछ मामलों में स्थगन आदेश जारी किए। मौसम के कारण भी कई बार निर्माण कार्य प्रभावित हुआ। इन सभी समस्याओं के चलते सड़क का निर्माण समय पर पूरा नहीं हो सका, जिससे अंततः टोल टैक्स पर भी असर पड़ा। इस वजह से जो टोल वसूला गया, वह निर्माण लागत से कहीं अधिक हो गया, और लोगों को अधिक टोल चुकाना पड़ा।

आरटीआई से खुलासा
इस पूरे मामले का खुलासा एक आरटीआई (सूचना का अधिकार) के जरिए हुआ। आरटीआई में पूछा गया था कि क्यों मनोहरपुर प्लाजा से 8000 करोड़ रुपये का टोल वसूला गया, जबकि इस सड़क की निर्माण लागत केवल 1900 करोड़ रुपये थी।यह सवाल तब उठाया गया जब लोगों को यह महसूस हुआ कि टोल की राशि कहीं अधिक है। इस सवाल ने केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को जवाब देने के लिए मजबूर किया, जिससे लोगों को स्पष्टता मिली कि कैसे निर्माण लागत, बैंक के ऋण और अन्य खर्चों का टोल पर असर पड़ता है। इस खुलासे ने टोल वसूली की प्रक्रिया और उसके पीछे के कारणों पर नई बहस छेड़ दी है।

100 दिनों में 51 सौ करोड़ के परियोजनाओं मंजूरी मिली
नितिन गडकरी ने बताया कि मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल के पहले 100 दिनों में 51 सौ करोड़ रुपये की 8 सड़क परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है। उन्होंने कहा कि सरकार का लक्ष्य मार्च 2024 तक 3 लाख करोड़ रुपये की परियोजनाओं को पूरा करना है। यह परियोजनाएं देश के सड़क नेटवर्क को मजबूत करने और परिवहन की सुविधाओं को बेहतर बनाने में मदद करेंगी। गडकरी ने यह भी कहा कि इन परियोजनाओं से विकास में तेजी आएगी और लोगों को रोजगार के नए अवसर मिलेंगे। सरकार की यह योजना पूरे देश में बुनियादी ढांचे को सुधारने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

NEWS SOURCE Credit : punjabkesari

Leave a Comment

RELATED LATEST NEWS

Top Headlines

ढोंगी बाबा की काली करतूत: पीड़िता बोलीं- धमकी देकर कई बार की गंदी हरकत , प्रेत बाधा बताकर महिला से किया दुष्कर्म

मैनपुरी: उत्तर प्रदेश के मैनपुरी से एक ढोंगी बाबा की काली करतूत सामने आई है, जहां आस्था के नाम पर

Live Cricket