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Home » देश » 96 लाख का चढ़ा कर्ज; मां-बाप ने भी तोड़ा रिश्ता, ऑनलाइन गेम के नशे में बर्बाद हुआ स्टूडेंट

96 लाख का चढ़ा कर्ज; मां-बाप ने भी तोड़ा रिश्ता, ऑनलाइन गेम के नशे में बर्बाद हुआ स्टूडेंट

आज के डिजिटल युग में ऑनलाइन गेमिंग ने एक प्रमुख मनोरंजन का साधन बना लिया है और भारत में इसकी लोकप्रियता पिछले कुछ वर्षों में तेजी से बढ़ी है। लेकिन इस बढ़ती लोकप्रियता के साथ-साथ इसके नकारात्मक प्रभाव भी सामने आ रहे हैं।

हिमांशु मिश्रा की दुखद कहानी 
झारखंड के 22 वर्षीय छात्र हिमांशु मिश्रा की कहानी इस बात का एक उदाहरण है। हिमांशु, जो एक होनहार छात्र हैं और आईआईटी जेईई में 98% अंक प्राप्त कर चुके हैं, अब गेमिंग की लत के कारण 96 लाख रुपए के कर्ज में डूब गए हैं। उनकी स्थिति इतनी गंभीर है कि उनके परिवार ने भी उनका साथ छोड़ दिया है। अब उनकी मां उनसे बात भी नहीं करतीं। यह घटना न केवल हिमांशु के लिए, बल्कि उनके परिवार के लिए भी एक बड़ा झटका है और यह हमें गेमिंग की लत के खतरों पर विचार करने के लिए मजबूर करती है।

गेमिंग की लत का सफर 
हिमांशु ने गेमिंग की लत का सफर साझा किया है, जहां उन्होंने बताया कि कैसे उन्होंने सिर्फ मनोरंजन के लिए ऑनलाइन गेमिंग शुरू की थी। शुरू में, उन्होंने केवल 49 रुपए की छोटी रकम से गेम्स खेलना शुरू किया लेकिन जल्द ही उनकी लत बढ़ती गई और उन्होंने सट्टेबाजी वाले ऐप्स जैसे ड्रीम-11 और महादेव ऐप्स पर खेलना शुरू कर दिया। उनकी लत इतनी बढ़ गई कि उन्होंने अपने माता-पिता से छुपाकर अपने बैंक खाते से पैसे निकालकर गेमिंग में लगाने लगे। इसके अलावा उन्होंने दोस्तों और रिश्तेदारों से पैसे उधार लेना भी शुरू कर दिया। यहां तक कि अपनी पढ़ाई की फीस भी गेमिंग में गंवा दी।

पारिवारिक और आर्थिक संकट 
हिमांशु की गेमिंग लत ने न केवल उनके जीवन को प्रभावित किया, बल्कि उनके परिवार की आर्थिक स्थिति को भी बिगाड़ दिया। अंततः, उनके परिवार ने उन्हें त्यागने का निर्णय लिया। हिमांशु की मां ने अदालत में एक हलफनामा दाखिल कर उन्हें अपने जीवन से बाहर करने का फैसला किया। उनके पिता ने उन्हें कहा, “तुमने मुझे इतना बर्बाद कर दिया है कि जब मैं मरने के कगार पर होऊंगा, तब भी पानी देने मत आना।” अब हिमांशु के पास केवल रोने के अलावा कुछ नहीं बचा है।

संदेश और सावधानी 
हिमांशु की कहानी एक चेतावनी है कि कैसे ऑनलाइन गेमिंग की लत युवाओं की जिंदगी को बर्बाद कर सकती है। उन्होंने अपने पढ़ाई के पैसे गंवाए, रिश्तों को नष्ट किया, और परिवार से अलग हो गए। इस प्रकार की खतरनाक गेमिंग लत से बचने के लिए यह आवश्यक है कि हम अपने समय का सही प्रबंधन करें और गेमिंग को एक सीमित मनोरंजन के रूप में देखें। परिवार और दोस्तों का सहयोग इस समस्या से निपटने में मदद कर सकता है। हिमांशु की कहानी न केवल एक दुखद घटना है, बल्कि यह हमें इस बात का भी एहसास कराती है कि हमें अपने मनोरंजन के साधनों का चयन करते समय कितनी सावधानी बरतनी चाहिए।

NEWS SOURCE Credit : punjabkesari

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