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वो 7 सेक्टर्स जहां भारत के बिना नहीं चल सकता मालदीव का काम चीन के दोस्त मुइज्जू ने समझा India के महत्व ?

मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू हाल ही में चार दिनों के दौरे पर भारत आए हैं। यह उनका पहला द्विपक्षीय दौरा है, जबकि वह इस साल जुलाई में भी भारत का दौरा कर चुके थे। उनके लगातार भारत आने से सवाल उठता है कि “इंडिया आउट” का नारा देने वाले मुइज्जू भारत क्यों आ रहे हैं, खासकर जब मालदीव की आर्थिक स्थिति बेहद कमजोर है।

मालदीव की आर्थिक स्थिति
मालदीव का विदेशी मुद्रा भंडार इस समय लगभग 40 करोड़ डॉलर है, जो महज डेढ़ महीने के खर्च के लिए पर्याप्त है। पर्यटन क्षेत्र, जो मालदीव की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, गंभीर संकट का सामना कर रहा है। मुइज्जू के भारत विरोधी बयानों के चलते टूरिज्म सेक्टर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है, और देश पर कर्ज का बोझ बढ़ गया है। मुइज्जू ने भारत के लिए रवाना होने से पहले कहा था कि “मालदीव आर्थिक संकट से जूझ रहा है, और हमें भारत से मदद की उम्मीद है।” उनका यह बयान दर्शाता है कि वे भारत के महत्व को समझते हैं और आर्थिक सहायता की आवश्यकता को स्वीकार कर रहे हैं।

मालदीव की भारत पर निर्भरता
मालदीव को 1965 में स्वतंत्रता मिली थी और भारत ने तब से उसके साथ अच्छे संबंध स्थापित किए हैं। मालदीव के कई महत्वपूर्ण सेक्टर्स हैं जहां वह भारत पर निर्भर है:
1. डिफेंस सेक्टर: मालदीव की रक्षा आवश्यकताओं के 70% सामान की आपूर्ति भारत करता है। भारत ने पिछले एक दशक में मालदीवियन नेशनल डिफेंस फोर्स (MNDF) के 1500 से अधिक सैनिकों को प्रशिक्षित किया है। अप्रैल 2016 में, भारत और मालदीव के बीच एक रक्षा सहयोग समझौता भी हुआ था, जो इस क्षेत्र में और अधिक सहयोग को बढ़ावा देता है।
2. इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट: मालदीव में कई बड़े एयरपोर्ट्स और इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। ग्रेटर माले कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। इस प्रोजेक्ट के तहत 6.74 किलोमीटर लंबा पुल मालदीव की राजधानी माले को उससे जुड़े द्वीपों जैसे विलिंगली, गुलीफाल्हू और तिलाफुंशी से जोड़ेगा। भारत ने इस प्रोजेक्ट के लिए 50 करोड़ डॉलर का फंड दिया है।
3. हेल्थकेयर और शिक्षा: भारत ने मालदीव में इंदिरा गांधी मेमोरियल हॉस्पिटल के विकास के लिए 52 करोड़ रुपये की मदद की है, और एक आधुनिक कैंसर अस्पताल भी तैयार किया है। शिक्षा के क्षेत्र में, भारत ने मालदीव में 1996 में टेक्निकल एजुकेशन इंस्टीट्यूट की स्थापना में मदद की और वहां के शिक्षकों और युवाओं को प्रशिक्षित करने के लिए विशेष कार्यक्रम शुरू किए हैं।
4. अर्थव्यवस्था और व्यापार: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 2014 में पदभार संभालने के बाद से, भारत और मालदीव के बीच व्यापार चार गुना बढ़ गया है। 2022 में, दोनों देशों के बीच व्यापार 50 करोड़ डॉलर का था, जबकि 2014 में यह आंकड़ा 17 करोड़ डॉलर था।
5. टूरिज्म: भारतीय सैलानी हर साल बड़ी संख्या में मालदीव का दौरा करते हैं। लेकिन हाल ही में मुइज्जू के विवादास्पद बयानों के कारण भारतीयों ने मालदीव का बहिष्कार शुरू कर दिया, जिससे उसकी अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक असर पड़ा। अब मुइज्जू को यह समझ में आ रहा है कि भारत उनकी अर्थव्यवस्था के लिए कितना महत्वपूर्ण है।

भारत की तुलना में चीन और तुर्की को अधिक प्राथमिकता
मुइज्जू ने सत्ता में आते ही भारत की तुलना में चीन और तुर्की को अधिक प्राथमिकता दी। उन्होंने कहा था कि भारत को अपने सभी सैनिकों को तुरंत मालदीव से वापस बुलाना चाहिए। इसके अलावा, मुइज्जू ने चीनी रिसर्च शिप को अपने पोर्ट पर आने की अनुमति दी, जिससे भारत में नाराजगी फैल गई। इस वर्ष जुलाई में, मुइज्जू सरकार के पर्यटन मंत्री ने भारत दौरे के दौरान कई शहरों में रोड शो आयोजित किए। इस रोड शो का उद्देश्य भारतीय सैलानियों को आकर्षित करना था, ताकि मालदीव की अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित किया जा सके।

मुइज्जू ने दी कई प्रतिक्रियाएँ
भारत और मालदीव के बीच तनाव तब शुरू हुआ जब मालदीव के तीन मंत्रियों ने पीएम मोदी की लक्षद्वीप यात्रा पर आपत्तिजनक टिप्पणियां कीं। इसके बाद मुइज्जू ने भारत से अपने सैनिकों को वापस बुलाने का अनुरोध किया। हालाँकि, उन्होंने यह भी कहा कि “हमें बुली करने का लाइसेंस किसी के पास नहीं है,” जो भारत की ओर इशारा माना गया। मुइज्जू के चीन दौरे के बाद, उन्होंने भारत के खिलाफ कई बार सार्वजनिक बयान दिए। उनका यह मानना था कि छोटे देश होने के नाते उन्हें किसी से डरने की जरूरत नहीं है, लेकिन अंततः उन्हें यह समझ में आ गया कि भारत का सहयोग उनके लिए अनिवार्य है।

मुइज्जू की बार-बार भारत यात्रा इस बात का संकेत है कि मालदीव को भारत के साथ अपने संबंधों को सुधारने की आवश्यकता है। आर्थिक संकट और पर्यटन में गिरावट के चलते, उन्हें भारत की मदद की आवश्यकता है। मुइज्जू को यह समझना होगा कि भारत के साथ मजबूत रिश्ते न केवल मालदीव के लिए, बल्कि क्षेत्रीय स्थिरता के लिए भी महत्वपूर्ण हैं। इसलिए, मुइज्जू के लिए यह आवश्यक हो गया है कि वे अपने फैसलों पर पुनर्विचार करें और भारत के साथ सकारात्मक संबंधों को बढ़ावा दें, जिससे मालदीव का भविष्य सुरक्षित हो सके।

NEWS SOURCE Credit : punjabkesari

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