Mayawati News: यूपी में करीब एक लाख 37 हजार परिषदीय स्कूल संचालित हो रहे हैं। सर्वे में पाया गया कि 27,764 परिषदीय प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूल ऐसे हैं जहां 50 से भी कम छात्र हैं। सरकार ने 50 से कम छात्र संख्या वाले स्कूलों को आसपास के अन्य स्कूलों के साथ मर्ज करने का फैसला लिया है। इस नीति को जमीनी रूप देने के लिए सभी जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों को निर्देश भी जारी कर दिया गया है। अगले शैक्षणिक सत्र यानी 2025-26 सत्र के लिए इन स्कूलों का विलय करने के निर्देश दिए गए हैं। सरकार के इस फैसले का बसपा प्रमुख मायावती ने विरोध किया है और सवाल खड़े किए है।
विलय करने का फैसला उचित नहींः मायावती
मायावती ने एक्स पर पोस्ट कर लिखा, ”यूपी सरकार द्वारा 50 से कम छात्रों वाले बदहाल 27,764 परिषदीय प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में जरूरी सुधार करके उन्हें बेहतर बनाने के उपाय करने के बजाय उनको बंद करके उनका दूसरे स्कूलों में विलय करने का फैसला उचित नहीं। ऐसे में गरीब बच्चे आखिर कहाँ और कैसे पढ़ेंगे?
स्कूलों को बंद करने का भी फैसला अनुचितः मायावती
इससे आगे मायावती ने लिखा,”यूपी व देश के अधिकतर राज्यों में खासकर प्राइमरी व सेकेण्डरी शिक्षा का बहुत ही बुरा हाल है जिस कारण गरीब परिवार के करोड़ों बच्चे अच्छी शिक्षा तो दूर सही शिक्षा से भी लगातार वंचित हैं। ओडिशा सरकार द्वारा कम छात्रों वाले स्कूलों को बंद करने का भी फैसला अनुचित।”
‘सुधार करने के बजाय स्कूल बंद करना ठीक नहीं’
बसपा प्रमुख ने कहा, ”सरकारों की इसी प्रकार की गरीब व जनविरोधी नीतियों का परिणाम है कि लोग प्राइवेट स्कूलों में अपने बच्चों को पढ़ाने को मजबूर हो रहे हैं, जैसाकि सर्वे से स्पष्ट है, किन्तु सरकार द्वारा शिक्षा पर समुचित धन व ध्यान देकर इनमें जरूरी सुधार करने के बजाय इनको बंद करना ठीक नहीं।”
NEWS SOURCE Credit : punjabkesari