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नई दिल्ली : DTTTA ने गृह मंत्री को लिखा खत, ड्राईवरों के लिए बने कानून में की संशोधन की मांग।

रिपोर्ट – नाज आलम ( सोर्स एक्स प्लेटफ़ॉर्म) 

 

दिल्ली टैक्सी एंड टूरिस्ट ट्रांसपोर्टर्स एसोसिएशन (DTTTA) अध्यक्ष संजय सम्राट का आरोप है कि केंद्र और राज्य सरकारें ट्रांसपोर्टर्स और ड्राइवर्स के ऊपर दमनकारी नीतियां अपना रही है।

 

 

नई दिल्ली : दिल्ली टैक्सी एंड टूरिस्ट ट्रांसपोर्टर्स एसोसिएशन (डीटीटीटीए) के अध्यक्ष संजय सम्राट ने ड्राईवरों के लिए बनाए गए कानून में संशोधन की मांग को लेकर गृह मंत्री अमित शाह को एक पत्र लिखा। एसोसिएशन के अध्यक्ष ने पत्र के जरिए गृह मंत्री से इस कानून को वापस लेने के मसले पर पुनर्विचार करने की मांग की है, संजय सम्राट का आरोप है कि केंद्र और राज्य सरकारे ट्रांसपोर्टर्स और ड्राइवर्स के ऊपर दमनकारी नीतियां अपना रही है।

ड्राईवरों का हो रहा शोषण

डीटीटीटीए के अध्यक्ष संजय सम्राट का कहना है कि पहले तो सरकार ने गाड़ियों की लाइफ को 10 से 15 साल कर दिया। अब प्रदूषण के नाम पर डीजल पेट्रोल टैक्सी बसों और प्राइवेट कारों को बंद किया जा रहा है, इस वजह से ड्राइवर्स बेरोजगार हो रहें है और ट्रांसपोर्टर्स दिवालिया होने की कगार पर पहुंच चुके हैं। उनका आरोप है पैनिक बटन के नाम पर दिल्ली में सरेआम अरबों रूपए का घोटाला हो रहा है। स्पीड गवर्नर के नाम पर भी बड़ा भ्रष्टाचार हो रहा है और ड्राइवर्स का शोषण किया जा रहा है. ओला-उबर जैसी प्राइवेट कंपनी पूरे भारत में ड्राइवर्स का शोषण कर रही है और सरकार इन सब मुद्दों पर प्राइवेट कंपनियों का साथ दें रही है या खामोश बैठी है।

ट्रक चालकों ने की कानून में संशोधन की मांग

गृह मंत्री अमित शाह द्वारा काला कानून पूरे भारत के ड्राईवरों पर थोपा जा रहा है। जिंसमें ड्राइवर्स पर दुर्घटना के समय भाग जाने पर 10 लाख का जुर्माना और 7 साल की सजा का प्रवधान बनाया गया है। इससे ड्राईवरों में भय का माहौल बन गया है और ड्राईवर गाड़ियों को खड़ी करके चाबी गाड़ी मालिकों को दें रहें है। इस कानून को लेकर ड्राईवरों में जो असंतोष और डर का माहौल उत्पन्न हो गया है, उसे दूर करने के लिए उन्होंने गृह मंत्री को पत्र लिखकर कुछ सुझाव दिए हैं।  साथ ही इस कानून में संशोधन की मांग की है।

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टैक्सी एंड टूरिस्ट ट्रांसपोर्टर्स एसोसिएशन की अमित शाह से 11 मांगें। 

1. दुर्घटना के समय सभी ड्राइवर्स की जान माल की सुरक्षा सरकार द्वारा दी जानी चाहिए।

2. अगर किसी भी स्थिति में रोड दुर्घटना के समय या ड्यूटी के समय या रोड पर ड्राइवर घायल हो जाए या उसको शारीरिक तौर पर कुछ भी इमरजेंसी हो जाए तो तुरंत उसका इलाज सरकारी खर्चे में अच्छे प्राइवेट हॉस्पिटल में किया जाए।

3. रोड दुर्घटना के समय अगर किसी भी स्थिति में ड्राइवर की जान चली जाए तो उस ड्राइवर के परिवार को 1 करोड़ का मुआवजा केंद्र सरकार से तुरंत मिले।

4. रोड दुर्घटना के समय अगर ड्राइवर और गाड़ी को पब्लिक नुक्सान पहुंचाए तो सरकार उसका मुआब्जा भी खुद दे, ना की इंश्योरेंस कंपनी।

5. अगर कहीं ड्राइवर द्वारा रोड दुर्घटना हो जाए तो उसके लिए एक कॉल सेंटर का नंबर हो, जिस से ड्राइवर तुरन्त दुर्घटना की जानकारी सरकार या प्रशासन को दे सके, जिससे दुर्घटना वाली जगह पर पुलिस और एम्बुलेंस तुरंत आये, ताकि घायल व्यक्ति की जान बच सके और ड्राइवर को भी इस बात के लिए दोषी साबित ना किया जाए।

6. रोड दुर्घटना के बाद ड्राइवर और उसके परिवार की जान माल की सुरक्षा का जिम्मेदारी डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट और डिप्टी कमिश्नर पुलिस को दिया जाए।

7. जगह-जगह कैमरे भी लगाए जाएं।

8. शराब पीकर या कोई भी नशा करके गाड़ी चलाने वाले को सख्त सजा मिले।

9. अगर ड्राइवर को लगता हैं की दुर्घटना के बाद उसकी जान को खतरा है तो पुलिस और एम्बुलेंस को खबर करने के बाद ड्राइवर को किसी सुरक्षित स्थान पर जाने का अधिकार हो।

10. हर 25 किलोमीटर बाद नेशनल हाईवे और एक्सप्रेस वे पर पुलिस वैन और एम्बुलेंस की मौजूदगी अनिवार्य हो।

11. इन सारे नेशनल और एक्सप्रेस वे पर ड्राइवर के सोने के लिए साफ सुथरे गेस्ट हाउस भी हो जहां वो नींद आने पर सो सके।

डीटीटीटीए के अध्यक्ष संजय सम्राट ने पत्र के माध्यम से गृह मंत्री से मिलने के लिए समय मांगा है. साथ ही काले कानून पर दोबारा विचार मांग करने की मांग की है। सम्राट ने कहा है कि ट्रांसपोर्टर्स और ड्राइवर्स यूनियन के विचार और सुझाव को लेकर इसमें कुछ संशोधन किये जाएं, तब तक के लिए इस कानून को लागू करने से रोका जाए।

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