रिपोर्ट – नाज आलम ( सोर्स एक्स प्लेटफ़ॉर्म )
साल 1989 इतिहास में दर्ज हो गया और एम फातिमा बीवी सुप्रीम कोर्ट में पहली महिला जज के तौर पर नियुक्त हो चुकी थीं। शीर्ष न्यायालय में वह इस पद पर 29 अप्रैल 1992 तक रहीं।
देश : साल 2024 में पद्म पुरस्कार हासिल करने वालों में 132 नाम शामिल हैं। इनमें एक नाम बीते साल नवंबर में दुनिया को अलविदा कह गईं एम फातिमा बीवी का भी शामिल है। उन्हें सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला जज होने का कीर्तिमान हासिल है। हालांकि, वह सिर्फ शीर्ष न्यायालय की ही पहली महिला जज नहीं थीं, बल्कि बार काउंसिल में गोल्ड मेडल जीतने वाली भी पहली महिला थीं।
कौन थीं जस्टिस फातिमा बीवी।
30 अप्रैल 1927 में केरल के पाथनमिट्टा में जन्मीं फातिमा बीवी को कामयाब वकील और जज बनाने में पिता अन्नावीतिल मीरन साहिब का बड़ा योगदान है। कहा जाता है कि उनके पिता उन्हें वकील बनते देखना चाहते थे। इसी सपने को पूरा करने के लिए उन्होंने कानून में डिग्री हासिल की और नवंबर 1950 में वकील बन गईं।
इससे पहले उनकी शुरुआती शिक्षा कैथोलिकेट हाई स्कूल से हुई है। उन्हें स्नातक की पढ़ाई तिरुवनंतपुरम के यूनिवर्सिटी कॉलेज से केमिस्ट्री में की थी।
उन्होंने एडवोकेट के तौर पर केरल में करियर की शुरुआत की। इसके बाद साल 1974 में जिला एवं सत्र न्यायालय में जज बनीं। साल 1980 में उन्होंने इनकम टैक्स अपीलेट ट्रिब्युनल का रुख किया और साल 1983 में उच्च न्यायालय की जज बनीं। इसके बाद साल 1989 इतिहास में दर्ज हो गया और वह सुप्रीम कोर्ट में पहली महिला जज के तौर पर नियुक्त हो चुकी थीं।
शीर्ष न्यायालय में वह इस पद पर 29 अप्रैल 1992 तक रहीं। हालांकि, रिटायरमेंट के बाद भी फातिमा बीवी ने काम की रफ्तार को धीमा नहीं किया और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की सदस्य बनीं। साथ ही उन्होंने तमिलनाडु की राज्यपाल का भी दायित्व संभाला था, जो खासा विवादों में रहा।
उनका सबसे विवादित फैसला राज्यपाल के कार्यकाल के दौरान माना जाता है। दरअसल, उन्होंने साल 2001 में हुए तमिलनाडु विधानसभा चुनाव के बाद जयललिता को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिला दी थी। खास बात है कि उस साल TANSI भूमि मामले में दोषी पाए जाने के चलते उन्हें चुनाव लड़ने से अयोग्य घोषित किया गया था।
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