रिपोर्ट / नाज आलम 14/04/2024
हर साल 14 अप्रैल को डॉ. भीमराव अंबेडकर की जयंती मनाई जाती है। इस दिन उनके सभी योगदानों के लिए उन्हें श्रद्धांजलि दी जाती है। वे भारतीय संविधान के पिता भी कहलाए जाते हैं और वे आजाद भारत के पहले कानून मंत्री भी थे।
उत्तर प्रदेश उन्नाव : नगर पंचायत रसूलाबाद में मनाई गई बाबा साहब भीमराव अंबेडकर जयंती, निराला नगर स्थित अशोक भारती के आवास पर सभी लोगों ने बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की फ़ोटो पर पुष्प अर्पित किए और उनके जीवन के संघर्ष की चर्चा की, लोगों को उनके अधिकार के बारे में जागरुक किया, मौक़े पर तमाम लोगों ने अलग अलग तरह से बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के जीवन के बारे में बताया कैसे वो संविधान सभा में पहुँचे।
भारत के पहले क़ानून मंत्री
अंग्रेजों की गुलामी की बेड़ी तोड़कर, भारत लगभग 200 सालों बाद आजाद हुआ, लेकिन देश को सुचारू ढंग से चलाने के लिए कानून की जरूरत थी, इस तरह डॉ. भीमराव अंबेडकर की अध्यक्षता में भारतीय संविधान का गठन किया गया और बाबा साहेब आजाद भारत के पहले कानून मंत्री बनें।
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समानता में रखते थे विचार
बाबा साहेब का जन्म एक दलित परिवार में हुआ था, जिसकी वजह से उनका जीवन काफी संघर्षों से भरा हुआ था। उनके जीवन के इन्हीं संघर्षों ने उनके विचारों को आकार दिया था। डॉ. अंबेडकर समानता में यकीन रखते थे। वे जाति के आडंबर को नहीं मानते थे और चाहते थे कि समाज में सभी को एक-बराबरी का अधिकार मिले। व्यक्ति को उसकी योग्यता के आधार पर मौके मिलने चाहिए न कि उनका जन्म किस परिवार में हुआ है, इस आधार पर। इसलिए उन्होंने अपने पूरे जीवन समाज से जाति प्रथा, महिलाओं को बराबरी और बड़े-छोटे के भेद को मिटाने के लिए काम किया। ऐसा ही वे भारत का कानून मंत्री बनने के बाद भी करना चाहते थे।
क़ानून मंत्री पद से दिया इस्तीफ़ा
समाज में महिलाओं को भी पुरुषों के समान बराबरी का दर्जा दिलवाने के लिए, उन्होंने एक बिल पारित करने का प्रस्ताव रखा, जिसमें पिता की संपत्ति पर बेटियों का भी बेटों के समान ही अधिकार होने का प्रस्ताव दिया गया था। इस बिल को हिंदू कोड बिल (Hindu Code Bill) कहा जाता है।
इस बिल में विवाह में जाति के महत्व को खत्म करने, तलाख के नियम और गोद लेने के लिए नियमों को पारित करने पर चर्चा की गई थी, लेकिन उनके इस बिल को कैबिनेट में पास होने की मंजूरी नहीं दी गई। इस बिल के पास न होने की वजह से हीं 1951 में डॉ. भीमराव अंबेडकर ने कानून मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया, बाबा साहब के जीवन के विचारों पर भी चर्चा हुई।
सैनी क्लासेज़ के संस्थापक नीरज कुमार सैनी पुष्प अर्पित करते हुए ॰
बाबा साहब के बारे में अपने जीवन में बहुत संघर्ष किया, दलित परिवार में जन्म लेने के कारण बाबा साहेब अंबेडकर को बचपन से ही जाति को लेकर भेदभाव का सामना करना पड़ा। लेकिन सशक्त शिक्षा के बल पर उन्होंने जाति के बंधन को कमजोर कर दिया, उन्होंने स्वयं तो शिक्षा हासिल की ही। साथ ही दलित, वंचितों, मजदूरों और महिलाओं के साथ हो रहे अन्याय के खिलाफ खड़े होकर लंबी लड़ाई भी लड़ी।
बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर के अनमोल विचारों से सफल होने और मजबूत बनने की प्रेरणा मिलती है। आप भी उनके विचारों को जीवन में अमल कर अपने जीवन को बेहतर बना सकते हैं।
( निराला नगर स्थित अशोक भारती के आवास के बाहर एकत्रित लोग )
नगर पंचायत रसूलाबाद अशोक भारती के आवास पर तमाम लोगों इकट्ठा होकर बाबा साहब के विचारों का पालन करने पर ज़ोर दिया, शिक्षा पर गहन अध्ययन करने की ज़रूरत है, मौक़े पर क़िशन भारती, विकेश विमल, अमित, रणजीत, विजेंद्र, राहुल वर्मा सुनील भारती,हरीश कुमार गौतम, मोहित विमल, अंकित विमल, डॉ अजय मौर्य, मोहित विश्वकर्मा, सैनी क्लासेज़ के संस्थापक नीरज कुमार सैनी ने भी बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के जीवन के बारे में अपनी कोचिंग सैनी क्लासेज़ में बच्चों को बताया उनके जीवन में संघर्ष और उनके विचारों पर चर्चा की,